बाल सजग
बच्चों का आकाश .... बच्चों के लिए
रविवार, 14 मार्च 2010
कविता स्वय करे खुशी
स्वयं
करे
खुशी
बादल गरजे गड़ गड़ गड़ ,
बिजली चमके चम चम चम....
पानी बरसे झम झम झम,
झूला झूले बच्चे हम....
छाता लेकर निकले हम,
पानी बोला थम थम थम....
अब जाता हूँ स्वयं,
खुशी से नाचे गाये हम....
क्रिकेट खेलने निकले हम.....
लेखक सोनू सिंह कक्षा ८ अपना घर कानपुर
1 टिप्पणी:
Yashwant Mehta "Yash"
14 मार्च 2010 को 10:43 am बजे
क्या बच्चू रुलाओगे, बरसात देखने के लिए तरस गए हैं
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क्या बच्चू रुलाओगे, बरसात देखने के लिए तरस गए हैं
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