गुरुवार, 11 मार्च 2010

कविता :काला कौआ गुस्से में भड़का

काला कौआ गुस्से में भड़का

एक था कौआ
एक था बउवा
कौआ रोता ,बउवा सोता
जब बउवा रोता ,तब कौआ सोता
एक दिन एक उल्लू आया
संग में अपने एक साड़ी का पल्लू लाया
उल्लू बोला ये लो साड़ी का पल्लू
बउवा के सिर पर डाल मेरे लल्लू
गुस्से में आकर कौआ बोला अबे उल्लू
निकल ले उठा के अपना साड़ी का पल्लू


लेखक :आशीष सिंह
कक्षा :
अपना घर

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