बाल सजग
बच्चों का आकाश .... बच्चों के लिए
बुधवार, 17 मार्च 2010
कविता सोने की चिड़ियाँ
सोने की चिड़ियाँ
सोने
की
चिड़िया
,
खाये मिट्टी की गोलियां ,
घुमे गलियों गलियां.....
लाये सब की चिट्ठियां,
घर में छा जाये खुशियाँ.....
सब सोचे कब आयेगी चिट्ठियां,
बच्चे सोचे कब होगी स्कूल की छुट्ठियां ....
लेखक
अशोक
कुमार
कक्षा
७
अपना
घर
कानपुर
1 टिप्पणी:
Admin
18 मार्च 2010 को 12:08 am बजे
बेहतरीन रचना .. सुंदर प्रयास
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