बुधवार, 17 मार्च 2010

कविता कड़ाके की ठंडी

कड़ाके की ठंडी
बड़ी कड़ाके की ठंडी आयी ,
साथ में अपने पानी लाई...
ओष भी घास में लायी ,
थोडा पानी भी लाया .....
ठंड से लोग बचते हैं,
घर से बहार नहीं निकलते हैं....
ठंडी को दूर भागते हैं,
अपने को स्वच्छ बनाते हैं.....
लेखक मुकेश कुमार कक्षा अपना घर कानपुर

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