गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

कविता: जब मानव आपस में लड़ता है

जब मानव आपस में लड़ता है

जब मानव आपस में लड़ता है ,
तब जुल्म सितम बढ़ता है
कौन बचाए उनको कौन छुड़ाये,
ये सारा जमाना कहता है
कुछ लड़ते है इस देश के खातिर,
कुछ मरते है बस रुपयों के खातिर
सब मांगते है बस अपने लिए ,
कोई जीता नहीं जिए दूजे के लिए
इस देश पर जताए जो सिर्फ अपना हक़ ,
इनको भी सिखायेंगे अब हम सबक
चारो ओर फैलाओ सबको यह बात ,
नहीं है अलग कोई धर्म जात -पांत
हम है सभी एक इन्सान भाई,
क्यों करते हो आपस में लडाई।
गले मिल जाएँ एक दूजे के हम,
दुनियाँ में सुखमय जीवन जिएँ हम


लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा ७, अपना घर

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