रविवार, 21 फ़रवरी 2010

कविता -किसान गया कलकत्ता

किसान गया कलकत्ता
एक किसान गया कलकत्ता ।
उसने खाया पान का पत्ता ॥
मुँह हो गया उसका लाल ।
उसने किया रात में मुर्गे को हलाल ॥
जब उसने पेट भरकर खाया ।
उसने घर में किसी को नहीं बताया ॥
जब किसान के घर में बदबू आई ।
उसकी पत्नी सह ना पाई ॥
एक किसान गया कलकत्ता ।
उसने खाया पान का पत्ता ॥


लेखक -मुकेश कुमार
कक्षा -८
अपना घर

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