प्रकृति ने रचा है पृथ्वी को ,
औरत ने जन्म दिया है बच्चे को ।
बच्चों को किसी तरह पाल-पोषकर बढ़ा सकें ,
ताकि बच्चे बड़ें होकर माँ को आराम दें सकें ।
पर आज के युग में बच्चे ऐसा करते नहीं ,
माँ बाप के कहने पर चलते नहीं ।
जो मन में आये वही करते हैं ,
जुआँरी ,शराबी तभी तो बनते हैं ।
लेखक :आशीष कुमार
कक्षा :७
अपना घर
कक्षा :७
अपना घर
बहुत सही। मां का ध्यान और उनकी सुनना तो महत्वपूर्ण है सही इन्सान बनने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सही बात लिखा है आशीष,जिन कंधो से हम दुनिया देखते है उन ही को समय पड़ने पर सहारा नहीं देते है,धयाबाद एक बार फिर से
जवाब देंहटाएं