रविवार, 14 फ़रवरी 2010

कविता -निकला सरज गया अँधेरा


निकला सूरज गया अँधेरा
निकला सूरज गया अँधेरा ,
इन सूरज की किरणों ने हमको घेरा
निकल पड़े जब सूरज भाई,
शाम कहीं नजर आई
चिड़ियाँ निकली पेड़ों पर ,
निकल पड़े सब आदमी
बच्चे निकले सब खेल खेलने ,
विद्यार्थी निकले पढने को
खेत किसान जोतने को ,
शाम हुई जब सूरज भागा
अँधेरा भाई दौड़कर आया ,
सभी लौट के अपने घर को
बच्चे खेलकर विद्यार्थी पढ़कर ,
किसान खेत जोतकर
चिड़ियाँ चिल्लाकर ,
सूरज रौशनी देकर
लौट पड़े सब अपने घर को ............. ।
लेखक :सोनू कुमार
कक्षा :
अपना घर

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