गुरुवार, 28 मई 2009

कविता: एक तालाब पर बैठा बगुला

एक तालाब पर बैठा बगुला॥
अपना ध्यान पानी लगाये।
मछली उछले उसको लपकूं॥
ये उसके मन में विचार आए
तभी एक केकड़ा पहुचाँ॥
झट उ़सने बगुले को दबोचा।
तब बगुले को समझ में आया॥
अ़ब करूँगा कभी शिकार।
तब केकड़े ने उसको छोड़ा
छूटते ही बगुले ने भर ली उड़ान।
और जा पहुँचा आसमान
कविता: ज्ञान , कक्षा 5, अपना घर
पेंटिंग: आदित्य कुमार, कक्षा , अपना घर


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