बुधवार, 20 मई 2009

कहानी: बाग की परियाँ

बाग की परियाँ
पहाड़ों के बीच बसा एक छोटा सा गाँव, जिसका नाम सुन्दरपुर था । मानस और उसका परिवार उसी गाँव में रहते थे, माँ जब पहाड़ों पर जंगल से लकड़ी बीनने जाती तब मानस भी माँ के साथ बकरियों को लेकर पहाड़ पर चराने जाया करता था। उस गाँव के पास दूसरे पहाड़ पर एक बहुत ही सुंदर बगीचा था। मानस उस बगीचे में घूमने और फल खाने जाया करता था, कभी - कभी तो रात को भी उस बगीचे में घूमने चला जाता था। एक बार उसकी माँ ने कहा बेटा उस बगीचे में रात को मत जाया करो, वहां पर रात को परियां नाचने आती है। मानस ने कहा माँ तुम चिंता मत करो मुझे परियों से डर नही लगता , परियां अगर कभी मुझसे बगीचे में मिल गई तो मै उनके साथ खूब खेलूँगा और नाचूँगा भी। माँ के लाख मना करने के बाद भी मानस बगीचे में जाना नहीं छोड़ा। वो हमेशा दिन रात उन परियों के बारे में सोचता रहता। एक दिन घर के सभी लोग रात को गहरी नींद में सो रहे थे, मानस अपने बिस्तर से उठा और चुपके से बगीचे की तरफ़ चल दिया। बगीचे में दूर से रौशनी दिख रही थी, मानस और तेजी से बगीचे की तरफ भागा। बगीचे में पहुच कर मानस ने देखा की सफ़ेद रौशनी में गुलाबी, सफ़ेद, नीली, पीली, लाल और कई रंग की कपड़े पहने सुंदर - सुंदर परियां नाच रही है। मानस भी उनके साथ नाचने लगा, कुछ देर में परियों ने नाचना बंद कर दिया। सभी परियां मानस को चारो तरफ़ से घेर कर खड़ी हो गई, और उसके बारे में पूछने लगी। मानस और परियों में आपस में खूब दोस्ती हो गई। परियों ने कहा मानस अब हम लोग सात पहाड़ों के पार फूलों की घाटी में नाचने जा रही है तुम भी चलोगे क्या ? मानस ने कहा मै कैसे जा सकता हूँ मेरे पास तो पंख ही नहीं है। मानस का मन उदास हो गया, मानस को उदास देख कर लालपरी ने अपनी जादू की छड़ी से मानस की पीठ को छुआ, जादू की छड़ी को छूते ही मानस के पीठ पर सुंदर से पंख उग आए। मानस सभी परियों के साथ फूलों की घाटी की तरफ़ उड़ चला। फूलों की घाटी में मानस और परियों ने खूब नाचा, मानस नाचते - नाचते अब थक गया था। मानस परियों से बिदा लेकर अपने घर की तरफा उड़ चला, आसमान से उसका घर पास दिख रहा था। वो अब और तेजी से अपने घर की तरफ उड़ा, वो घर पहुचने ही वाला था तभी एक पेड़ की डाली से मानस टकरा गया, डाली से टकराकर वो धड़ाम से जमीं पर गिर पड़ा, उसके सारे पंख टूट गए। जमीं में पड़े उसकी आँख बंद होने लगी, अचानक उसकी आंख खुली और मानस ने देखा की वो बिस्तर से नीचे जमीं पर गिरा पड़ा है, अब उसे समझ में आया की ये सब सपना था।
कहानी: जीतेन्द्र कुमार, कक्षा , अपना घर
पेंटिंग: मुकेश कुमार, कक्षा , अपना घर

5 टिप्‍पणियां: