शनिवार, 16 मई 2009

कविता: परीक्षा


परीक्षा
जब वार्षिक परीक्षा आई।
तो हमार सिर चकराई॥
नींद ऊपर से आई।
जम्हाई अलग से आई॥
पर क्या करे ? पेपर है सिर पर।
लेके कापी बैठ गए छत पर॥
नंबर आई अगर कम।
तो निकल जाई हमार दम॥
यही सोच के हम पछताई।
की परीक्षा कब खत्म हो जाई॥

कविता: आदित्य कुमार, कक्षा , अपना घर
पेंटिंग: ज्ञान कुमार, कक्षा , अपना घर

5 टिप्‍पणियां:

  1. बाल लेखकों की रचनायें यहाँ देखकर अच्छा लगा ।

    सुन्दर प्रयास ।

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  2. मेरे नाम पर क्लिक् करके
    "परीक्षा" से संबंधित
    एक और कविता
    पढ़ी जा सकती है!

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  3. do hard wark then u will be get good reasult.poem is very nice keep it up

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