रविवार, 23 नवंबर 2025

कविता: "मेरा बचपन"

 "मेरा बचपन"
वो बचपन का क्या जवना था, 
जब कार्टून के फोटो हमारे लिया खजाना है। 
न काम की टेंसन न पढ़ाई की चिंता ,
बस मौज मस्ती में ही मन लगाना था ,
सुबह घर से बहार निकल जाना ,
और पुरे दिन न किसी का ठिकाना था। 
बस गुल्ली ठंडा खेलना और चिड़ियाँ को देखना ,
 दिन भर का यही एक ठिकाना था ,
बिन बताए घर से बहार जाना था ,
वो बचपन का भी किया जवना था। 
कभी कभी तो घर का ही ठिकाना था ,
पेट दर्द तो एक बहाना था। 
स्कुल बंक करना एक बहाना था ,
वो बचपन का भी किया जवना था ,
जब 75 % अपने जिंदगी को उड़ाना था ,
वो बचपन का क्या जवना था। 
कवि: गोविंदा कुमार, कक्षा: 9th,
अपना घर। 

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