शनिवार, 21 दिसंबर 2024

कविता : "संघर्ष "

 "संघर्ष "
देखो है हजारों की संघर्ष,
जब नहीं थी चीजे उपलब्ध | 
लोगो में थे आपसी संबंध,
न थी एक-दूसरे के प्रति घमंड | 
उम्मीदों की छाया बनते थे वह सब,
मुशीबतों के आने पर| 
जीत हो या हार हो,
पर संघर्ष जारी रहता था| 
देखा है हजारों की संघर्ष,
जब नहीं थी चीजे उपलब्ध| 
कवि :पिंटू कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

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