शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

कविता :"परेशान हूँ मै "

"परेशान हूँ मै "
मै परेशान हो गया हूँ,
आस-पास के लोगो से| 
हर किसी का सुनना,
जैसे कानो में काटे चुभना | 
मै थक गया हूँ चलते- चलते ,
बस मै चाहता हूँ सोना| 
मुझे मत जगाओ सोने से,
क्योंकि सपनो में नया संसार देखता हूँ|  
मै परेशान हो गया हूँ,
अब तो डर लगता है गलतियां करना| 
क्योंकि इसमें भी परेशानी है,
अब तो हमारी बातो में भी गलतियां है| 
बस अब एक कोने में ही बैठा रहता हूँ ,
मै परेशान हो  गया हूँ| 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :10th 
अपना घर 

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