शुक्रवार, 24 मई 2024

कविता :"सोच "

"सोच "
काश कोई मेरे बारे में सोचता ,
तो आज यंहा नहीं होता | 
काश कोई मेरे लिए काम करता ,
तो आज यंहा नहीं होता | 
काश कोई मेरे लिए रोता ,
तो गंगा से भी एक और नदी बहता | 
धूप से तपती आग में ,
मेरे लिए काम करती है | 
काश कोई मेरी भी दुनियां होता ,
फूलों से सजा होता | 
कवि :नीरू कुमार ,कक्षा :8th 
अपना घर 

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