रविवार, 4 जून 2023

कविता :" रूठ गई वह मौसम "

"  रूठ   गई  वह  मौसम "
  रूठ   गई  वह  मौसम | 
जो शीतल हवाएं देती थीं ,
झुलस गए वो  पौधें | 
जिस पर फूल निराली खिली थीं, 
आज काले छाए है बादल|  
जो वर्षों से नहीं दिखती थी, 
रूठ गई वह हवा | 
जो दिल को ठंढक पहुंचती थी, 
रूठ गया वह सूरज|  
अब तो पानी का न ठिकाना था, 
सूख गई तालाब -नदियाँ | 
क्योंकि जमाना ही बेगाना था, 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :9th 
अपना घर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें