शनिवार, 15 जनवरी 2022

कविता : "ये खिलखिलाते से चेहरे"

"ये खिलखिलाते से चेहरे"
ये खिलखिलाते से चेहरे पर | 
एक अनमोल सी मुस्कान खिली ,
खेल की मैदान में सोर उठी | 
छक्के -चौक्के की बरसात हुए ,
ढोल नागारे लगे बजने | 
छोटे -छोटे बच्चे लगे नाचने ,
लड्डू -पेड़ा लगे बाटने | 
ख़ुशी बाटने लगे हर ओर ,
ये खिलखिलाते से चेहरे पर | 
एक अनमोल सी मुस्कान खिली ,
कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 11th 
अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें