शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

कविता : " धूप को देककर मौसम बदल कर "

" धूप को देककर मौसम बदल कर "

धूप को देककर मौसम बदल कर | 

आया जब सब बादलजम कर ,

लगे दिखाने अपना रंग -रूप | 

कहाँ चला गया न नजर आए थोड़ी भी धूप ,

हवाओं के संग उड़ता चला आया | 

हर घर और खेत में छा गया ,

गरज -मलक कर खूब वह बरसा | 

रात -दिन को कुछ भी न समझा ,

टीप -टिप और छम -छम की आवाजे आती रहीं | 

धूप को देककर मौसम बदल कर ,

आया जब सब बादल जम कर | 

कवि : पिन्टू कुमार , कक्षा : 6th 

 अपना घर

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