गुरुवार, 29 जुलाई 2021

कविता :" मै निकला हूँ अपने तलाश में "

" मै निकला हूँ अपने तलाश में "

मै निकला हूँ अपने तलाश में | 

कोई नजर नहीं आता आस -पास में ,

कहाँ खो बैठा उनको | 

जो रहता था मेरे पास में ,

मै निकला हूँ अपने तलाश में | 

भूखें प्यासे घूमता रहता हूँ ,

खोंजने की कोशिश करता हूँ | 

मैं रहना चाहता था उसके पास में ,

लेकिन मै निकला हूँ अपने तलाश में | 

कवि : रविकिशन कुमार , कक्षा :12th 

अपना घर

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