मंगलवार, 27 जुलाई 2021

कविता : " कितना भी पास हो हमारी मंजिल "

" कितना भी पास हो हमारी मंजिल "

कितना भी पास हो हमारी मंजिल | 

उसे पाना आसान नहीं ,

जिंदगी की हर एक मोड़ सीधा नहीं है | 

थक जाना थक कर फिर चलना ,

रुकने का जहन में कभी नाम नहीं | 

पसीने से लथपत हो जाना ,

पर जिंदगी और मंजिल के |

रास्ते पर न रुकना ,

दशर्ता है हर एक व्यकित की | 

मेहनत को और शाहस को ,

कभी भी अकेले न छोड़ना | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें