मंगलवार, 29 जून 2021

कविता : "चाँद"

"चाँद"

चाँद से दूर रहकर भी | 

हम चाँद पर जाने की बात करते हैं ,

वहाँ के नाजारो को हम | 

अपने नजरों में उतारना चाहते हैं ,

बीते सदियो से देखते चले आए है |

इस चाँद को ,

आखिर कौन सी ऐसी रोशनी हैं | 

जो इसको इतना खूबसूरत बनाती हैं ,

कभी नही दिखती है कभी दिखती हैं | 

क्या रहस्य है इसका ,

जो अपनी ओर आकर्षित करती हैं | 

कवि : नितीश कुमार ,कक्षा : 11th 

अपना घर

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