बुधवार, 16 जून 2021

कविता : "ये काले -काले बादल "

"ये काले -काले बादल "

ये काले -काले बादल | 

मन को करतें घायल ,

लेके अपने सांग बारिस के बूंदे | 

यह देखकर किसान भी रूठे ,

जब गिरना होता हैं तब | 

कहाँ निकल जाते हैं ये सब,

जब गिरती तेरी बूंदे |

तब सब तुझको ढूढ़े ,

ये काले -काले बादल | 

मन को करते घायल ,

कवि :  कुलदीप कुमार ,कक्षा : 10 

अपना घर

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