शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

कविता : " उपवन की हरयाली में "

"  उपवन की हरयाली में "

 उपवन की हरयाली में ,

दोस्ती की गहराई में | 

मौज मस्ती की बातो में ,

कब औऱ कैसे हो गया शाम | 

दिन हो या दोपहर ,

गर्मी लगती है बहुत जहर | 

लोग धुप में काम कर  के जाते है कहर  ,

ऐसी लिए धुप में ज्यादा देर मत ठहर | 

बगीचा हमेशा  हरा दिखे ,

दोस्ती ओर प्यार से भरा दिखे | 

कवि : पिंटू कुमार , कक्षा 6th , अपना घर 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें