सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

कविता:- वह अनजान है

"वह अनजान है"
वह अनजान है।।  
इस दुनियाँ से।।  
 उसे कुछ मत कहना।
घुम लेने दो दुनियाँ उसको।।  
पता तो चले यह कैसा है।
कैसा इसका रंग है ।।  
कैसा इसका रूप है।
देख लेने दो दुनियाँ उनको 
उसे कुछ मत कहना।
बेजान है उसके चेहरे।।  
देखो तो ये हैं कैसे।
 वो अनजान है।।  
इस दुनियाँ से।
 उसे कुछ मत कहना।।  
 
कविः -शनि कुमार ,कक्षा -9th ,अपना घर,कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।
 

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