शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

कविता:- धीरे-धीरे मै दूर हो रहा हूँ

"धीरे-धीरे मै दूर हो रहा हूँ"
धीरे-धीरे मै सबसे।
दूर होता जा रहा हूँ।।
 पता नहीं मैं क्यों इतना। 
मजबूर होता जा रहा हूँ।।
खुशियाँ  दूर जाती दिख रही हैं। 
और दुःख बाहों में जकड़ रही हैं।।
पढ़ाई में मन लगाने के बजाए। 
सोशलमीडिया की ओर खिचा जा रहा हूँ।। 
शायद मै मजबूर हूँ।  
क्योंकि अपने आप को संतुलित रखना।। 
मेरे लिए मुश्किल होता जा रहा है।
  कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े  गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी लिखते है।

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