सोमवार, 7 दिसंबर 2020

कविता:- मजदूर हैं तो हम हैं

"मजदूर हैं तो हम हैं"
मजदूर हैं तो हम हैं। 
मजदूर हैं तो आज खाने को अन हैं।।
मजदूर हैं तो सबके घर में नल है। 
मजदूर हैं तो घर है इमारत है।।
मजदूर हैं तो हम है बड़े साहब है।
मजदूर हैं तो हमरे देश की।।
सड़के और की रेल पटरियां है।
मजदूर हैं तो बड़े-बड़े फैक्ट्रियां है।।
मजदूर हैं तो देश में बड़े-बड़े नेता हैं। 
मजदूर हैं तो बड़े -बड़े अभिनेता हैं।।
मजदूर और किसान के वजह से हम जिन्दा हैं। 
ये दोनों इस देश के परिंदा हैं। 
पर हम कहीं न कहीं इन्हे भूल जाते है।।
जब ये परेशानी बताते है। 
भूल जाते है हम इन्हे देने में।।
जब ये अपना हक़ मंगाते है। 
अगर सोचो कल मजदूर ना होगें तो क्या होगा।।
तो फिर कोई इमारत न होगा। 
ना कोई अमीर होगा ना कोई गरीब होगा।।
कविः -देवराज कुमार, कक्षा -10th , अपना घर , कानपुर ,
 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं।  और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।
 
 
 

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