"कोरोना भाई तुम क्या हो यार"
कोरोना भाई तुम क्या हो यार।
एक बार तो बता दो अपना आकर।।
ताकि मै सोचु इस पर विचार।
तैयार करू वैक्सीन हजार।।
रोड पर जाना मुश्किल हो गया।
क्रिकेट ग्राउण्ड भी सो गया।।
मौज मस्ती के दिन चले गए।
दोस्तों से मिले दिन हो गए।।
नो प्रॉब्लम कोरोना भाई।
लगता है करनी पड़ेगी धुलाई।।
घर में सैनिटाइजर लगाऊंगा।
एक बार नहीं बार-बार हाथ को।।
धोकर तुझे भगाऊंगा।
कोरोना भाई तुम क्या हो यार।।
एक बार तो बता दो अपना आकर।
कविः-प्रांजुल कुमार, कक्षा - 11th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और
कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं। प्रांजुल
को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है। प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते
हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत
अच्छा लगता है।
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