शनिवार, 26 दिसंबर 2020

कविता: - हरियाली

 "हरियाली"
जिधर भी देखूँ जहाँ भी देखूँ।
हरियाली का ही अविष्कार दिखे।।
हर वक्त हर समय सिर्फ। 
हरियाली का संसार दिखे।।
जब सूर्य की तपन आये तो। 
बस गर्मी का संचार करे।।
हर पत्ती हर डाल  पर। 
खाद्य पदार्थ बनाने का प्रयास करे।। 
कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े  गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी लिखते है।

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