"बाजार में अब शोर कम हो गया"
बाजार में अब शोर कम हो गया।
दोस्तों से न मिले बिना।।
अब मन भी बोर हो गया।
अब बस करो कोरोना तुम्हारे आगे।।
चीन ही नही सारी दुनियाँ बेहाल हो गया।
कुछ नही बचा काम करने को।।
गाड़ियों के आवाज भी कम हो गया।
पड़ोसियों के बकवास भी बंद हो गया।।
अब बस करो कोरोना तुम्हारे आगे।
अब दवाईयाँ भी काम हो गया।।
मनो अब जैसे जिंदगी थक गया।
बाजार में अब शोर भी कम हो गया।।
कविः- कामता कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर
कवि परिचय - ये कामता कुमार जो बिहार के रहने वाले है। बड़े होकर IAS बनना हैं। ये बहुत अच्छी कविताएँ लिखते है।
यद्यपि कोरोना की मार जबरदस्त पड़ी है तथापि बहुत कुछ अच्छा भी हुआ, जैसे-पर्यावरण, हवा, पानी विशेषकर प्रदूषण की समस्या
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सामयिक रचना।
जवाब देंहटाएंDHANYAVAD AAP LOGO KO
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