गुरुवार, 5 नवंबर 2020

कविता :-भीगी बिल्ली आ घुसी घर

"भीगी बिल्ली आ घुसी घर"
भीगी बिल्ली आ घुसी घर। 
भागी सबसे पहले रसोई घर।।
इधर उधर सर उठा के।
झपटा दूध के बर्तन पर।।
पर दूध का बर्तन था खली। 
भूख से बढ़ चली खलबली।।
 ढूंढने लगी दूध इधर उधर।
गिर गए बर्तन दरवाजे पर।।
आहाट पाकर नानी जगी।
पहुंची रसोई घर भागी -भागी।।
फिर बिल्ली ने खूब भगदड़ मचायी। 
इधर उधर फांदकर अपनी जान बचायी।।
नानी भी पीछे दौड़ लगायी।
जान बचाकर बिल्ली राहत पायी।।
अब न खाऊंगा दूध मलाई।
जान बची तो लाखो पायी।।
लौटकर घर ना आऊंगा भाई।
भीगी बिल्ली आ घुसी घर।।
लगी ढूंढने रसोई घर।
कविः -शनि कुमार ,कक्षा -9th ,अपना घर,कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।
 

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