रविवार, 20 सितंबर 2020

कविता : बादलो से पानी शायद मिला न होगा

" बादलो से पानी शायद मिला  न होगा "

बादलो से पानी शायद मिला न होगा ,

मौसम का साथ शायद मिला न होगा | 

शायद सूखा पड़ गया जमीन ,

इस लिए पौधे ऊगा नहीं होगा  | 

हवाओ ने शायद मिटटी न डाली होगी ,

बहारो ने शयद न उसे संभाली होगी |

शयद आस -पास न होगी नर्मी ,

इस लिए वो पौधे उगी नहीं | 

उसे हटा कर संवार दो ,

मिटटी में जाकर गाड़ दो | 

समय बाकी है अभी,

शायद वो पौधे उग जाए कही | 


कवि  : देवराज कुमार , कक्षा  : 10th  , अपना घर

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