बुधवार, 5 अगस्त 2020

कविता : होंगे सपने पूरे


" होंगे सपने पूरे "

कृषक जैसा संघर्ष जो करता,
मेहनत का मैदान नहीं छोड़ता |
जब तक सफल वह हो न जाए,
नींद - चैन को त्यागता जाए |
ये रास्ता जिस ओर को मुड़ता,
हमेशा सफलता उधर ही चलता |
कामयाबी की सोच हरियाली लाती,
मेघा जैसी खुशियाँ छा जाती |
देख भूमि पर झूमती हरियाली को,
जमीं की मिटटी को उठाकर  देखो |
 तब होंगें तुम्हारे सपने पूरे,
नहीं बैठोगे तुम कभी अधूरे |

कवि : पिंटू कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर





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