शनिवार, 1 अगस्त 2020

कविता : रक्षाबंधन

" रक्षाबंधन "

सोचते सोचते  मुझे याद आया,
एक  बहुत अच्छी सी बात |
रक्षाबंधन है बहुत पास |
लेकिन कोरोना भी बैठा  है पास,
क्या लगाए बैठा रहूँगा मैं आस |
  कैसे करूँगा बहन को मैं खुश,
बिना राखी के हो जाएगी दुःख |
न मिठाई और न ही है राखी,
 आज नाखुश हैं सारे साथी |
रक्षा तो करेंगें अपनी बहनों का,
क्योंकि रिश्ता है हमारे जन्मों का |
पहले कोरोना से उसे बचाएँगे,
फिर मिलकर रक्षाबंधन मनाएगें |

कवि : गोविंदा कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता गोविंदा के   द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | गोविंदा ने यह कविता रक्षाबंधन पर लिखी है की कैसे कोरोना से छुटकारा पाकर रक्षाबंधन मनाएगे | गोविंदा को कवितायेँ  लिखना अच्छा लगता है |

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