बुधवार, 3 जून 2020

कविता : कोरोना का कहर

" कोरोना का कहर "

पूरी दुनियाँ में फैली है कोरोना 
मुश्किल हो गया है लोगों का जीना | 
देशों में लग गया है lockdown 
 घर के सिवाय कहीं और न जाएँ | 
अब कोरोना का डर भी सताने लगा,
यह एक खतरनाक महामारी है 
ये बात भी डॉक्टर बताने लगे | 
मन करता है बाहर जाने का,
दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने का | 
बस ऑनलाइन पढ़ाई होती है,
जो मजा  क्लास में होती थी 
 अब ख़त्म हो गया | 
जल्द जाए कोरोना का कहर,
फिर हम घूमें दिन , दोपहर |

कवि : अप्तर अली , कक्षा : 3rd , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका " कोरोना का कहर " अप्तर के द्वारा लिखी गई है जो की असम के रहने वाले हैं | अप्तर को कविता लिखना बहुत अच्छा लगता है और अच्छी कवितायेँ लिखने की कोशिश करते हैं |  
 

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