शनिवार, 4 अप्रैल 2020

कविता : कोरोना

" कोरोना "

कोरोना में कुछ नहीं हुआ सुधार,
तब भी कोरोना से हो रहे हैं बीमार | 
कोरोना बाहर सबका कर रहा है इंतज़ार,
उसको बस मौका मिल जाए एक बार | 
हम लोग जाएगें तो होंगें बीमार,
इसीलिए घर में ही करना है आराम | 
कोरोना है बिलकुल खतरनाक,
बच कर रहना नहीं तो होंगे बीमार | 
डरना नहीं है हमें इस कोरोना से,
लड़ना है इससे बड़ी हिम्मत से | 
 कोरोना में कुछ नहीं हुआ सुधार,
तब भी कोरोना से हो रहे हैं बीमार | 

कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता नवलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं और अपना घर संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | नवलेश को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और पढ़ाई में  बहुत अच्छे हैं

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