गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

कविता : मौसम है कितने प्यारे

" मौसम है कितने प्यारे "

बदलते मौसम के नज़ारे ,
लगते हैं कितने प्यारे |
कहीं धूप तो कहीं छाँव है,
इस मौसम में सब बेहाल है
खेतों में ही हरियाली है 
गांव में या खलियानों में,
खेतों या पहाड़ों में | 
ये नज़ारे आँखों को चुभते ही नहीं,
इनकी शिकायतें कभी करते नहीं | 
ये मौसम बिलकुल अनजान से लगते हैं,
कभी अकेले किसी से डरते नहीं | 
 बदलते मौसम के नज़ारे ,
लगते हैं कितने प्यारे | 

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है  बिहार के रहने  हैं | सुल्तान को कवितायेँ लिखने  शौक है और साथ ही साथ चित्र बनाना भी | सुल्तान ने इस कविता का शीर्षक " मौसम है कितने प्यारे " हैं

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