शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

कविता : राज पाठ

" राज पाठ "


जिंदगी से बढ़कर जिसको प्यारा होता है राज,
अपनों से बढ़कर जिसको प्यारा होता है राज |
जिसको प्यारी है सिर्फ उसकी कुर्सी,
जो राज पाठ के लिए कभी नहीं करता मटरगस्ती | 
जिसके इशारों पर नाचती है बस्ती
जो कुर्सी के लिए रहता हमेशा बेताब,
जो लोगों को फाँसी पर चढ़ा देता बेनकाब | 
जिसकी एक दहाड़ से डर जाते सारे राजा,
वही अपने देश का कहलाता राजा | 
जिसने जिंदगी से बढ़कर राज को जाना,
जिसकी आँखों के सपने में था सिर्फ राज को पाना | 
वही कहलाता है एक देश का राजा | | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

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