रविवार, 3 नवंबर 2019

कविता : बोना है सफलता के बीज

" बोना है सफलता के बीज "

राह है कठिनाइयों से भरे,
इतना की उम्मीद से परे |
 जिसे करना है पार,
 झूझना है ताकि न हो हार |
कहीं चढान तो  कहीं ढलान,
कहीं ऊँचा तो कहीं नीचा |
चढ़े  न इतना जल्दी थकान,
उन्ही से बनोगे तुम महान |
उभरना है कठिनाइयों के बीच,
बोना है तुम्हें सफलता के बीज | 
इतना से ख़त्म नहीं हुआ रास्ता,
दूसरों के सहारे मत रखो वास्ता | 
राह है कठिनाइयों से भरे,
इतना की उम्मीद से  परे | 

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता अखिलेश के द्वारा लिखी गई  जिसका शीर्षक " बोना है सफलता के बीज " है | इस कविता के माध्यम से अखिलेश यह बताना कि किसी भी लक्ष्य की सफलता पाने  राह  आने वाली कठिनाइयों  सामना ज़रूर करना होता है | अखिलेश बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं और अपना घ संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं | 

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