" मजदूरों का अवकाश था "
वह दिन कुछ खाश था,
मजदूरों का अवकाश था |
1 मई का दिन था,
मजदूर दिवस का वह दिन था |
यह पल था प्रेम और खुशियों का,
यहाँ जन्मदिन था हम सबका |
कुछ लोगों ने सजाया था,
रात में जन्मदिन मनाया था |
कुछ मेहमान आए थे,
खाना बड़े मजे से खाए थे |
रात में नाच गाना था,
वह दिन सबसे मस्ताना था |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घ
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कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह लिखते भी हैं | कुलदीप पढ़लिखकर एक नेवई ऑफिसर बनना चाहते हैं |
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