रविवार, 26 मई 2019

कविता : जाति -धर्म

" जाति -धर्म "

जाति - धर्म मैं क्या जानूँ,
सभी को मैं भाई - बहन मानूँ |
अल्लाह - ईश्वर है एक,
फिर भी बैर रखते हैं लोग अनेक |
रगों में रंग है ताली का,
फिर भी बैर है गोरी और काली का |
अल्लाह ईश्वर एक सामान,
वही खून वही भगवान |

नाम : नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर

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