मंगलवार, 19 मार्च 2019

कविता : कुछ ऐसा करूँ

" कुछ ऐसा करूँ "

मन करता है कुछ ऐसा करूँ,
हर  मुसीबतों को पार कर सकूँ |  
देश की गन्दगी को साफ कर सकूँ,
जो भी भूल हो उसे माँफ कर सकूँ |
बस इतनी ही चाहत है रब से,
यह दरख्वास्त है मेरा सबसे |
हर राह से गुजर कर कुछ बन सकूँ,
बनने के बाद देश के लिए कुछ कर सकूँ |
मन करता है कुछ ऐसा करूँ,
हर  मुसीबतों को पार कर सकूँ |  

                                                                                                       कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की मूल रूप से प्रयागराज के निवासी है और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और यह बहुत सी कवितायेँ लिखते है | समीर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |

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