मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

कविता : उदास

" उदास "

क्या करूँ आज बहुत उदास हूँ ,
उदास के कारण सबसे नाराज़ हूँ |
पता नहीं यह उदासपन कहाँ से आता है,
उदासपन पूरे मन को खोखला कर जाता है |
प्यारी सी हँसी को रुला देती है,
मन में जो चलता है सब भुला देती है |
जहाँ उदास है वहाँ गम है,
जहाँ गम है वहां आँखें नम है |
उदासपन होने से हम नहीं है,
मन तो है पर ख़ुशी कम है |
उदास , नाराज़ कभी नहीं होना है,
अपने मन को कभी नहीं सोने देना है |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं | प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है |  

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