गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

कविता : डर

" डर "

डर शब्द से क्या डरना,
यह तो मन का भय है | 
मंजिल से यह दूर है रखता,
हर कदम को है लड़खड़ाता | 
मुश्किलों का यह बांध बनाता,
हर एक ख़ुशी को चर है बनाता |
डर नई उम्मीदों को है रोकता,
नए जीवन को प्रकाश नहीं है  देता |
डर शब्द से क्या डरना,
यह तो मन का भय है | 

नाम " राजकुमार , कक्षा " 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं राजकुमार जो की हमीरपुर के रहने वाले हैं और आजकल अपना घर में रहकर अपनी शिक्षा को पूरी कर रहे हैं | राज को राजनीती में बहुत रूचि है | वह नेताओं के बारे मैं बहुत पढ़ता है | राज की कविताओं क एक सार्थक अर्थ होता है | 

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