बुधवार, 8 अगस्त 2018

कविता : पूर्व दिशा से मानसून है आई

" पूर्व दिशा से मानसून है आई "

पूर्व दिशा से मानसून है आई,
साथ में अपनी बारिश है लाई |
बारिश तब बरस रहा था,
इंसान जब तरस रहा था |
एक्सिस अमाउंट में बरसा पानी,
कानपुर ने की है मनमानी |
जगह जगह सब भर डाला,
फिर भी मौसम है काला |
सुबह से लेकर शाम तक बरसा,
बहार जाने के लिए  इंसान तरसा |
फिर भी इंसान को जानी है,
साथ में बारिश लानी है | 

कवि : प्रांजुल कुमार, कक्षा : 9th , अपना घर 



कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर कक्षा 9 में पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | बड़े होकर एक अच्छे इंसान के साथ इंजीनियर बनना चाहते है | छोटों बच्चों की मदद करना बहुत अच्छा लगता है | 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें