रविवार, 8 अप्रैल 2018

कविता :" ख्वाबों को सजाना चाहता हूँ "

" ख्वाबों को सजाना चाहता हूँ "

छोटे छोटे ख्वाबों को सजाना चाहता हूँ,
हर लम्हा को याद करना  चाहता हूँ | 
खुलकर मैं जीना चाहता हूँ, 
हर एक यादगार पल को | 
और यादगार बनाना चाहता हूँ, 
सबके दिलों में रहना चाहता हूँ | 
हर किसी की मदद करना चाहता हूँ,  
हर किसी को खुश रखना चाहता हूँ | 
 हर मुश्किल कार्य को करना चाहता हूँ,
नामुनकिन को मुनकिन बनाना चाहता हूँ | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 8TH , अपना घर 

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