शुक्रवार, 2 मार्च 2018

कविता : " इम्तिहान का महीना

" इम्तिहान का महीना 

इम्तिहान का महीना आया, 
विद्यार्थियों पर कहर है छाया |  
दिमाग को अब काम पर लाया, 
जब इम्तिहान सर पर आया | 
खेल छोड़कर पढ़ने जाना है, 
परीक्षा में अच्छे अंक लाना है |  
बच्चे नक़ल छाप रहे हैं,
 एक दुसरे का मुँह तक रहे हैं  | 
दिमाग कन्फूज़ हो रहा है,
काम आजकल सो रहा हैं |  
न हसना और  न जीना हैं, 
क्योंकि इम्तिहान का महीना है |   

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा :8th , अपनाघर


कवि परिचय : प्रांजुल अक्सर अपनी कविताओं का शीर्षक उस समां के अनुसार लिखते है जिससे की उस समय का अहसास हो | कवितायेँ रोमांचक भी होती हैं | 

1 टिप्पणी: