" इम्तिहान का महीना
इम्तिहान का महीना आया,
विद्यार्थियों पर कहर है छाया |
दिमाग को अब काम पर लाया,
जब इम्तिहान सर पर आया |
खेल छोड़कर पढ़ने जाना है,
परीक्षा में अच्छे अंक लाना है |
बच्चे नक़ल छाप रहे हैं,
एक दुसरे का मुँह तक रहे हैं |
दिमाग कन्फूज़ हो रहा है,
काम आजकल सो रहा हैं |
न हसना और न जीना हैं,
क्योंकि इम्तिहान का महीना है |
नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा :8th , अपनाघर
कवि परिचय : प्रांजुल अक्सर अपनी कविताओं का शीर्षक उस समां के अनुसार लिखते है जिससे की उस समय का अहसास हो | कवितायेँ रोमांचक भी होती हैं |
वाह !मजेदार !
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