मंगलवार, 9 जनवरी 2018

कविता :हूँ मजबूर

" हूँ मजबूर " 

हूँ मजबूर, हूँ  सबसे दूर,
मेरी मंजिल न हुआ पूरा | 
आगे आगे कदम है रखना,
मंजिल मेरी, मेरा काम परखना | 
राह ऐसी है यह सुनहरा, 
इस पर चलना काम है मेरा | 
थककर हो गया हूँ चूर, 
हूँ मजबूर सबसे दूर | | 

नाम : देवराज , कक्षा : 7th , अपनाघर 


कवि परिचय : देवराज लगभग बहुत सी कवितायेँ लिख चुके है इससे ये पता चलता हैं की केवल जो बड़े - बड़े   कविकार होते हैं वही केवल कवितायेँ लिख सकते हैं पढ़ाई करने का ये भी फायदा होता है | अपने जीवन में बहुत कुछ सिख रहे हैं और औरों को भी सीखना चाहिए | 



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