सोमवार, 15 जनवरी 2018

कविता : " शोर मचाते हैं मोर "

" शोर मचाते हैं मोर " 

शोर मचाते हैं मोर, 
बारिश में करते हैं शोर |  
सुन्दर -२ नाच दिखाते, 
इंसानों का दिल बहलाते |  
बारिश जब आ जाती है, 
नाच दिखकर गाते मोर | 
पंख फैला मचाते शोर, 
जानवरों का भी मन बहलाते | 
मेंढक दादा भी शोर मचाते |  
जब भर जाती है नाली, 
पिलो भाई ठंडा पानी |  
जब जब नाच दीखते नारिश,
समझलो भाई आ गई बारिश |

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर


कवि परिचय : यह हैं समीर जो की इलाहबाद जिले से कानपूर जिले में पढ़ाई के मकसद से आये हुए हैं | पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं साथ ही साथ गण गाने के बहुत शौकीन हैं | पढ़ लिखकर एक अच्छे इंसान बनकर समाज की सेवा करना चाहते हैं |      

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