शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

कविता : पढ़ाता है तू,

" पढ़ाता है तू, " 

अनपढ़ों को पढ़ाता है तू, 
सबके दिल को छू जाता है तू | 
इस देश के वासियों को, 
अच्छी बातें है बताता तू | 
हिंसा तेरे बस में नहीं ,
अहिंसा का पाठ पढ़ाता | 
अगर तू ये काम न करता,
गाँधी नहीं कहलाता तू | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर

कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहबाद से अपनाघर में पढ़ाई के लिए आएं हैं | संगीत इनका मनपसंद चीज़ है | कवितायेँ लिखने के साथ -साथ अच्छे -अच्छे गीत भी लिखा करते हैं | माता -पिता की ख्वाहिश है की ह पढ़ लिखकर कुछ समाज के लिए काम करे |  

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