"काश मैं चिड़िया बन जाऊँ "
काश मैं चिड़िया बन जाऊँ,
दूर - दूर तक सैर लगाऊँ |
रोज़ सुबह पंख फैलाऊँ,
दूर - दूर से दाना लाऊँ |
दो दिन उसको मैं चलाऊँ,
कोई पकडे तो फुर्र हो जाऊँ|
काश मैं चिड़िया बन जाऊँ | |
कवि : कामता कुमार , कक्षा : 6th ,अपनाघर
कवि परिचय : यह कामता कुमार बिहार के गया जिले से है | यह अपनाघर घर में चार साल से रहकर अपनी पढ़ाई को और मजबूत कर रहे हैं | यह पढ़ाई के साथ - साथ कवितायेँ ,कहानियां भी लिखते है | इनको क्रिकेटखेलना बेहद पसंद है | घर में अपने माता - पिता के कामों में भी हाथ बटाते हैं |
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